लंबे समय से प्रदेश में बारिश और बर्फबारी न होने से किसान और बागवान चिंतित हैं। इस समय, निचले क्षेत्रों में गेहूं फसल के लिए बारिश की जरूरत है, जबकि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब फसल के लिए बर्फबारी की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आगामी दो सप्ताह तक बारिश नहीं होती तो गेहूं की फसल सूखे से बर्बाद हो जाएगी।
वहीं, पूरी तरह से चिलिंग आवर्स न होने से सेब की पैदावार भी प्रभावित हो सकती है। 6.21 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र प्रदेश में है। 2.92 लाख हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की खेती की जाती है। जबकि 2.96 लाख हेक्टेयर जमीन बागवानी फसलों के लिए उपयोग की जाती है। वर्तमान में कृषि क्षेत्रफल के कुल 51 प्रतिशत में सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन अधिक कृषि भूमि वाले पर्वतीय क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा सिर्फ 12 प्रतिशत क्षेत्र में है।
पहाड़ों में खेती करने वाले किसान बारिश पर निर्भर हैं। ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून जिले में सिंचाई की सुविधा होने से सूखे गेहूं की फसल पर कोई असर नहीं है। लेकिन पर्वतीय इलाकों में गेहूं सहित अन्य फसलों को बारिश चाहिए। कृषि विभाग के निदेशक केसी पाठक ने बताया कि सूखे से किसी भी जिले में रबी फसलों को नुकसान नहीं हुआ है।
अगर अगले दो सप्ताह में बारिश नहीं होती तो फसलों को नुकसान हो सकता है। उधर, उद्यान विभाग के अपर निदेशक आरके सिंह ने कहा कि बागवानी फसलों को अभी तक सूखे का कोई नुकसान नहीं हुआ है। सेब की अच्छी पैदावार के लिए चिलिंग आवर्स चाहिए। लेकिन पहाड़ों में तापमान में गिरावट आने से सेब पौधे की चिलिंग आवर्स पूरी हो जाती है। समय पर बर्फबारी सेब की पैदावार बढ़ाती है।