भारत ही नहीं, दुनिया भर के कई देशों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक समस्या बन गया है। भारत में AI पर लगाम और डीपफेक के खिलाफ कानून बनाने का मुद्दा बहुत समय से चल रहा है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत आम चुनाव के ठीक बाद AI कानून बना सकता है। डीपफेक भी चुनाव में इस्तेमाल हो सकता है। यही कारण है कि चुनाव से पहले ही सरकार को इस संबंध में अधिनियम बनाना चाहिए।
भारत प्रौद्योगिकी के विकास से उत्पन्न हुए कई समस्याओं को हल करने के लिए एक नियामक ढांचा बनाने की योजना बना रहा है। विशेष रूप से, यह भारत सरकार द्वारा एक दिशा-निर्देश जारी करने के महीने भर बाद हुआ है, जो तकनीकी कंपनियों को देश में अंडर-टेस्टिंग या अविश्वसनीय AI मॉडल स्थापित करने से पहले “स्पष्ट अनुमति” देने के लिए कहा था।
इकोनॉमिक टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में वैष्णव ने AI पर लगाम के लिए एक बड़ा नियामक ढांचा बनाने की सरकार की इच्छा बताई। “एक विचार एक स्व-नियामक निकाय बनाने का है, लेकिन हमें नहीं लगता कि यह पर्याप्त होगा,” उन्होंने कहा। हमारा मानना है कि यह नियमन विधायी ढंग से होना चाहिए। हमने पहले ही टेक्नोलॉजी कंपनियों से परामर्श किया है। हम चुनाव के बाद औपचारिक परामर्श शुरू करेंगे और कानून की ओर बढ़ेंगे।”
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जब अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ, तो भारत में AI का गलत इस्तेमाल बड़ा मुद्दा बन गया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद सार्वजनिक सुरक्षा पर विवाद हुआ। फिल्मी अभिनेत्री आलिया भट्ट, कैटरीना कैफ और डांसर नोरा फतेही भी डीपफेक का शिकार हो चुकी हैं।