Lok Sabha Polls: लंबी बहस के बाद राहुल गांधी ने अमेठी सीट से चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की।

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी छोड़ दिया है। अब वह रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे, जबकि सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। शुक्रवार सुबह, कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली सीटों पर लंबे समय से चल रहे विवाद को समाप्त कर दिया। दोनों पदों पर पार्टी महासचिव सी वेणुगोपाल ने उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इसमें किशोरी लाल शर्मा (अमेठी) और राहुल गांधी (रायबरेली) चुनाव लड़ेंगे। राहुल गांधी की पार्टी ने रायबरेली को अमेठी से अधिक सुरक्षित माना है। क्योंकि कांग्रेस अभी भी इस सीट पर है।

रायबरेली और अमेठी सीटों पर नामांकन करने की आखिरी तिथि आज है। आज रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से केएल शर्मा नामांकन करेंगे। कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को अमेठी और रायबरेली के प्रत्याशियों के बारे में सूचित किया है। कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली में सपा के स्थानीय पदाधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे नामांकन में शामिल हों।

लंबे समय तक, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को यूपी में चुनाव लड़ने के लिए पार्टी नेता से मान मन्नौवल करना पड़ा। समाचार पत्रों के अनुसार, वह उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे। यही कारण है कि पार्टी के नेताओं ने इन दोनों पदों पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। कल देर रात एक बैठक में राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। ऐसे में विरासत का हवाला देकर उन्हें रायबरेली में मनाया गया। पार्टी नेताओं का कहना है कि रायबरेली की जनता ने विपरीत हालात में भी कांग्रेस को नहीं छोड़ा था। पार्टी अभी भी उत्साहित है। यह राज्य में कांग्रेस के लिए सबसे सुरक्षित सीट है।

किशोरी लाल शर्मा मूल रूप से पंजाब के लुधियाना से हैं। 1983 के आसपास राजीव गांधी ने उन्हें पहली बार अमेठी भेजा था। तब से वह यहीं रहे। 1991 में राजीव गांधी की मृत्यु के बाद गांधी परिवार ने यहां से चुनाव लड़ना बंद कर दिया, लेकिन शर्मा कांग्रेस पार्टी के सांसद के रूप में काम करते रहे। उन्हें संगठन की तरह परिवार की भी वफादारी प्राप्त है। सोनिया गांधी को रायबरेली से चुने जाने के बाद, वे उनके प्रतिनिधि के रूप में काम करते रहे। किशोरी को सोनिया गांधी के चुनाव नहीं लड़ने पर रायबरेली से दावेदार माना जाता था, लेकिन पार्टी ने उन्हें अमेठी से उम्मीदवार बनाया है।

विपक्ष अमेठी चुनाव नहीं लड़ने पर हमला करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने हार के डर से अमेठी छोड़ दिया। राजनीतिज्ञों ने उनके इस कदम को अलग तरह से देखा है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने रायबरेली को अमेठी से अधिक महत्व दिया। न्याययात्रा के दौरान भी अमेठी के प्रति उनके मन में गुस्सा था। अमेठी से कहीं अधिक समय रायबरेली में बिताया था। वह कहीं भी अमेठी में गाड़ी से उतरे तक नहीं थे। पार्टी के नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी अमेठी में एक नई लीडरशिप बनाना चाहते हैं।