ग्लोबल वार्मिंग ने सिर्फ शहर को प्रभावित किया है। ५३ वर्षों में कानपुर क्षेत्र का औसत तापमान 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है, यह अध्ययन बताता है। CSSA मौसम विभाग ने यह अध्ययन किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि आधा डिग्री तापमान बढ़ने से चौतरफा असर होगा। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और अधिक स्पष्ट होंगे।
इसका प्रभाव फसलों के चक्र पर होगा, जो उनका उत्पादन प्रभावित कर सकता है। इससे पशुओं और मनुष्यों की सेहत भी प्रभावित होगी। जैसा कि सीएसए के मौसम विभाग प्रभारी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया, ग्लोबल वार्मिंग ने पूरी दुनिया पर प्रभाव डाला है। यह कानपुर क्षेत्र में भी देखा गया। 1970 से 2023 के बीच औसत तापमान का अध्ययन किया गया था। इसमें सुधार हुआ है। उनका कहना था कि अगर तापमान पूरी तरह से आधा डिग्री बढ़ जाएगा, तो मौसम चक्र में तुरंत बदलाव होगा।
बारिश करने वालों को एक ही जगह मिलना चाहिए। इसके साथ ही फ्लैश फ्लड की संख्या बढ़ जाएगी। अचानक किसी स्थान पर बाढ़ आ जाएगी। बारिश लगातार कई दिनों तक नहीं चलेगी। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम चक्र में बदलाव, बारिश, गर्मी और जाड़े की अवधि में बदलाव भी फसलों पर प्रभाव डालेंगे।
बारिश पर निर्भर फसलों को सबसे अधिक नुकसान होगा। इसके अलावा, बीमारियां बढ़ने, वायरस और बैक्टीरिया के म्यूटेशन आदि से बीमारियां बढ़ने लगेगी। पर्यावरण को बचाने और तापमान को कम करने का एकमात्र उपाय यह है।
तापमान
अधिकतम- 37.8 डिग्री सेल्सियस- 2 डिग्री कम
न्यूनतम- 25.6 डिग्री सेल्सियस- 2.2 डिग्री ज्यादा
उमस बढ़ी, 14 सालों में सबसे गर्म 7 मई की रात
तापमान में वृद्धि से दिन में उमस बढ़ी है। शहर इससे परेशान हैं। रात में बादल छाए रहने से पारा बढ़ा। न्यूनतम पारा 25.6 डिग्री सेल्सियस था। सीएसए के मौसम विभाग प्रभारी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि बादल छाए रहने की वजह से दिन में गर्मी बनी रहती है। इससे रात की गर्मी बढ़ जाती है। उनका कहना था कि बंगाल की खाड़ी से नम हवाएं आती हैं। इससे वातावरण नम हो जाता है।