उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रुद्रप्रयाग जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुज कुमार संगल को निलंबित कर दिया है। उत्तराखंड हाईकोर्ट का रजिस्ट्रार (विजिलेंस) रहते हुए उन पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया है। यह आरोप लगाया जाता है कि इस हिंसा से त्रस्त कर्मचारी ने जहर पी लिया था। निलंबन की अवधि में वह चमोली जिला एवं सत्र न्यायालय में संबंद्ध रहेगा।
रजिस्ट्रार जनरल आशीष नैथानी ने हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर निलंबन आदेश जारी किया है। आदेश कहता है कि अनुज कुमार संगल के खिलाफ कुछ आरोपों पर अनुशासनात्मक जांच की जा रही है। उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है, क्योंकि उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियम 2003 के नियम 7 के तहत नियमित जांच शुरू की जाएगी। अनुज संगल पर आरोप है कि उन्होंने रजिस्ट्रार (सतर्कता) के रूप में अपने आवास पर तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हरीश अधिकारी को गाली-गलौज करने और उसे सेवा से हटाने की धमकी देने का आरोप लगाया।
यह भी आरोप हैं
यह आरोप लगाया गया है कि कर्मचारी को लगातार डांट-फटकार और परेशान कर सुबह आठ बजे से रात 10 बजे तक और उससे भी अधिक समय तक काम करने का दंड दिया गया है। अनुशासनात्मक अधिकारी को 18 नवंबर 2023 को कर्मचारी के कार्य समय और कार्य की प्रकृति के बारे में गलत जानकारी देने की कोशिश की गई है। शिकायतकर्ता की अर्जित छुट्टी को मंजूरी देने में देरी करके अपने अधिकार का दुरुपयोग किया गया है। इसलिए उसका वेतन समय पर नहीं मिल सका। उस चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने इस अभद्र व्यवहार के परिणामस्वरूप तीन जनवरी 2023 को अपने घर के सामने आत्महत्या कर ली।
हाईकोर्ट ने कहा
कि एक न्यायिक अधिकारी को परेशान करने या सेवा से हटाने की धमकी देना अमानवीय और अशोभनीय आचरण है, और यह उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 2002 के नियम-3(1) और 3(2) के कदाचार है।
किसी कर्मचारी को जानबूझ कर छुट्टी देने में देरी करना, उसका वेतन रोकना और गलत व्यवहार करके उसे जहर खाने के लिए मजबूर करना भी अमानवीय व्यवहार है।
चतुर्थ श्रेणी कर्मी द्वारा जहर खाने के पूरे मामले को मुख्य न्यायाधीश से छिपाने का भी प्रयास किया गया है, अनुचित प्रभाव का उपयोग करके।