खरीफ सीजन में उत्पादित मोटे अनाजों की फसल तैयार होने से पहले उत्तराखंड में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित किया जा सकता है। प्रदेश सरकार पहली बार झंगोरा (सांवा), चौलाई (रामदाना), काला भट्ट, गहत, लाल चावल, राजमा जैसे मोटे अनाजों को निर्धारित करने जा रही है।
MSPV निर्धारित करने के लिए गठित तकनीकी कमेटी उत्पादन लागत का मूल्यांकन करने के बाद रिपोर्ट सरकार को देगी। केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष श्रीअन्न योजना को लागू करने के बाद उत्तराखंड में मोटे अनाजों की मांग बढ़ी है। उत्तराखंड में मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने राज्य मिलेट मिशन भी शुरू किया।
एमएसपी निर्धारित करने को होमवर्क शुरू
बीते वर्ष केंद्र सरकार ने पहली बार मंडुवा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 38.56 रुपये प्रति किलो तय किया था। अब प्रदेश सरकार झंगोरा, चौलाई, गहत दाल, काला भट्ट, लाल चावल, राजमा समेत अन्य मोटे अनाजों का एमएसपी तय करने जा रही है। इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों की एक तकनीकी कमेटी गठित की है। इस कमेटी ने एमएसपी निर्धारित करने को होमवर्क शुरू कर दिया है।
कमेटी की कई बैठकें भी हो चुकी है। फसलों के उत्पादन पर आने वाली लागत और उत्पादन का आकलन के आधार पर कमेटी एमएसपी का ड्राफ्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगी। इसके बाद सरकार इस निर्णय लेगी। माना जा रहा है कि उक्त फसल तैयार होने से पहले एमएसपी तय हो सकता है।
मोटे अनाज की खेती पहाड़ी इलाकों में की जाती है। एमएसपी अभी तक निर्धारित नहीं होने से किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलता है। प्रदेश सरकार ने सहकारी समितियों और मंडी समिति के माध्यम से किसानों से घर पर ही मोटे अनाज खरीदने का प्रबंध किया है।
फसलें | उत्पादन (मीट्रिक टन) | कुल क्षेत्रफल (हेक्टेयर में) |
मंडुवा | 1,13,549 | 75,548 |
झंगोरा | 61,260 | 38,820 |
चौलाई | 5,453 | 5,564 |
दलहन | 56,835 | 57,177 |
धान | 2,50,373 | 6,46,233 |