रानीखेत में पिछले दिनों जंगलों में लगी आग और अब बारिश के कारण उत्पन्न हुए अंधड़ ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है। जंगलों में लगी आग ने हाईवे के किनारे खड़े पेड़ों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। ये दिन-प्रतिदिन सड़कों पर गिर रहे हैं। 270 से अधिक पेड़ रानीखेत-हल्द्वानी, अल्मोड़ा-पनार और रानीखेत-रामनगर हाईवे पर हैं जो बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं।
वन संपदा को जंगलों की आग से बहुत नुकसान हुआ है। जिले भर में आग ने हजारों पेड़ों को जलाया। यह पेड़ जलकर कमजोर हो गए हैं और अब गिरने का खतरा बढ़ा है। संवाद न्यूज एजेंसी ने रानीखेत-हल्द्वानी, अल्मोड़ा-पनार और रानीखेत-रामनगर राजमार्गों के किनारे खतरा बने पेड़ों की जांच की।
अल्मोड़ा-पनार राजमार्ग पर 120, रानीखेत-हल्द्वानी राजमार्ग पर भुजान से पिलखोली तक पांच किमी के दायरे में 20 और रानीखेत-रामनगर राजमार्ग पर ताड़ीखेत से रीची तक आठ किमी के दायरे में 30 से अधिक पेड़ हैं जो कभी भी अंधड़ में गिर सकते हैं। हर दिन दोनों हाईवे पर हजारों वाहन, यात्रियों और पर्यटक आते हैं। अब तक इन पेड़ों की सुरक्षा के उपाय नहीं किए गए हैं।
आंतरिक मार्गों पर भी खतरा बरकरार
रानीखेत क्षेत्र के टूनाकोट, किलकोट, पिलखोली, भंडरगांव, पंतकोटुली के पास जंगल से होकर गुजरने वाले रास्ते कई गांवों को जोड़ते हैं। यहां के जंगलों में भी कई पेड़ आए दिन धराशायी हो रहे हैं और कई पेड़ों के गिरने का खतरा बना हुआ है।
जंगलों में आग लगने से पेड़ों को नुकसान पहुंचा है। संबंधित विभागों को हाईवे, सरकारी भवनों के आसपास खतरा बने पेड़ों की जानकारी देने के लिए पत्र जारी किया गया है। यह जानकारी मिलने के बाद वन निगम के साथ मिलकर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।