13 अप्रैल से, केदारघाटी के आराध्य रक्षक यक्षराज जाख देवता के मंदिर में दो दिन का जाख मेला संक्रांति होगा। नारायणकोटी, कोठेड़ा और देवशाल के लोगों ने परंपरानुसार इस धार्मिक कार्यक्रम की तैयारी शुरू की और जंगल में चिह्नित लकड़ियां काटीं। शुक्रवार को उन्हें मंदिर परिसर में लाया जाएगा। जहां बैशाख मास की दूसरी तिथि, यानी 14 अप्रैल को जाख देवता धधकते अंगारों पर अपने पश्वा पर अवतरित होकर नृत्य करेंगे।
नारायणकोटी गाँव के लोगों ने बृहस्पतिवार को भगवान यज्ञराज (जाख देवता) का आह्वान किया। बाद में ग्रामीणों ने नंगे पैर जंगल में जाकर पूर्व में चिह्नित लकड़ियों को काटा। स्थानीय भाषा में इस पूरी प्रक्रिया को “गोठी बैठना” कहा जाता है। देवशाली के आचार्य मनोहर देवशाली ने बताया कि शुक्रवार को इन सूखी लकड़ियों को मंदिर परिसर में ढोल-नगाडों के साथ लाया जाएगा। जहां 13 अप्रैल को जाख देवता के मंदिर के आसपास सूखी लकड़ी से अग्निकुंड बनाया जाएगा।