UP: पुलिस अपराधियों से दो कदम आगे है, साइबर क्राइम रोकने के लिए ये नए प्रणाली; इससे ठगी कम होगी

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साइबर अपराधी कभी रिश्तेदार तो कभी कस्टम अधिकारी बनकर लोगों को ठगते हैं। Artificial Intelligence का भी इस्तेमाल होने लगा है। ऐसे में साइबर थाने नई AI तकनीक से लैस हो रहे हैं। साइबर विशेषज्ञ पुलिसकर्मी भी बढ़ रहे हैं।

कमिश्नरेट में एक नया साइबर थाना बनाया गया है। हर थाने में भी साइबर सेल है। साइबर अपराधों के पीड़ितों की संख्या इसके बाद भी बनी हुई है। जिले में हर दिन 3-4 शिकायतें आती हैं।

साइबर थाने में शिकायतों को निपटाने के लिए एक इंस्पेक्टर हैं, जो विशेषज्ञ पुलिस अफसर के नाम पर कार्य करते हैं। कुछ अतिरिक्त पुलिसकर्मी थानों में मदद करते हैं। पीड़ितों को इसलिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। डूबी रकम बहुत कम ही वापस मिलती है। 25 निरीक्षक और 25 से अधिक उपनिरीक्षक अब साइबर थानों में तैनात किए जाएंगे, साइबर अपराध बढ़ने और अपराधियों की नई तकनीक देखते हुए। साइबर अपराधों में माहिर पुलिस अधिकारियों को वरीयता मिलेगी।

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के एक अधिकारी ने AI की मदद से साइबर ठगी की थी। रिश्तेदार बनकर ठगी करने वालों में कस्टम, पुलिस और बैंक अधिकारी शामिल हैं। साइबर अपराधियों का डाटा भी साइबर सेल बना रहा है। पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को ठगी कर रहे थे। अब विदेशी ठगी भी होती है। यही कारण है कि 25 से अधिक नए सॉफ्टवेयर और ऐप साइबर थानों को तकनीक से लैस करने के लिए खरीदे जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय साइबर विशेषज्ञों से भी मदद ली जाएगी।

हाल ही में हुई घटनाएं—

शारजाह (यूएई) से एक साइबर अपराधी ने आगरा के पूर्व कर्नल से 50 हजार रुपये ठगे। AI की मदद से अपराधियों ने कर्नल के सहकर्मी की आवाज बनाई थी।
– फरवरी में, एक व्यापारी ने शाहगंज में पेटीएम ग्राहक सेवा केंद्र का अधिकारी बनकर खाते से 23 हजार रुपये निकाल लिए।

– मार्च 2024 में पुलिसकर्मी से मिलकर 22 हजार रुपये ठगे
– बैंक से मैसेज हरीपर्वत पुलिस के पास आया। जब वे मैसेज पर लिंक पर क्लिक करते थे, तो उनके खाते से बीस हजार रुपये निकाल लिए गए।