देहरादून; प्रचारक बहन शीतल ने कहा कि पूरी दुनिया में अध्यात्म का संदेश देने के लिए अंतरराष्ट्रीय भाषा इंग्लिश में संवाद कर पाने वाले विद्वान प्रचारकों की जरूरत को देखते हुए सतगुरु बाबा हरदेव सिंह महाराज ने अंग्रेजी माध्यम संत समागमों की शुरुआत की थी। उनके इस दूरगामी फैसले की प्रासंगिकता आज भी उतनी ही है। वो चाहते थे कि भारत की धरती से निकला यह सच का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचे और उनके इस विचार का नतीजा है कि आज दुनियाभर में निरंकारी मिशन सत्य का संदेश दे रहा है।
अंग्रेजी माध्यम समागमों का मूल उद्देश्य किसी एक भाषा का विस्तार नहीं बल्कि आध्यात्मिक संदेश का वैश्विक विस्तार है। आज बड़ी संख्या में बच्चे दूर देशों में जा रहे हैं और वहां जा कर जहां ये भौतिक उन्नति करेंगे वहीं अपनी और दूसरों की आध्यात्मिक उन्नति का भी माध्यम बनेंगे।
कहा की यदि भक्त अपने सतगुरु के वचनों की पालना हुबहू करता है तो दैवीय गुण व्यक्ति के जीवन में स्वतः ही आ जाते हैं। उन्होंने कहा की यदि हम यह सिद्धांत अपना लें कि तन, मन व धन सब मेरा नहीं, बल्कि परमात्मा की दी हुई अमानत है, तो हमारे जीवन में हर समय शांति (सुकून) बनी रहेगी। इसी प्रकार यदि हम अपनी जाति, पंथ, धर्म का अभिमान न करें, तो पूरा विश्व एक परिवार अर्थात सारा संसार, एक परिवार के रूप में रह सकता है। यह सभी दैवीय गुण मानव के जीवन में तभी आ सकते है जब इंसान इस प्रभु परमात्मा को जान लेता है और ये ही इंसान के मानव जीवन का असली उद्देश्य है। और उन्होने कहा कि यह कार्य आज के युग में सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज निरंकार प्रभु परमात्मा का दिदार (दर्शन) करवाकर कर रहे हैं।
सत्संग में अनेक युवाओं ने भी गीत, कविता, भाषण के माध्यम से अपने विचार अंग्रेजी में व्यक्त किए।