रामलला के दर्जी भगवत प्रसाद पहाड़ी की मशीनों की खटर-पटर वशिष्ठ कुंड के पास जारी है। ठंड के बाद भी मन भगवान के कपड़े पर है। कहीं से कोई धागा बाहर न निकल जाए। थोड़ी सी कमी होते ही कपड़े को हटा दें। सिलाई मशीन की तरह, अंगुलियां भी कपड़ों पर उतनी ही तेजी से चलती हैं।
भगवान ने कहा कि 31 दिसंबर से ही हम भगवान की सेवाओं के लिए कपड़े बनाने में लगे हुए हैं। बेटे और बहुएं भी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। हमारी पीढ़ी भगवान श्रीराम और उनके भाइयों के कपड़े बनाने का सौभाग्य है। इस कार्य में हमारी चौथी पीढ़ी भी शामिल है। उनके पिता रामशरण ने भगवान के कपड़े सिलने का काम शुरू किया। पिता बाबूलाल ने प्रोत्साहित किया। अब वह भाई और तीनों बेटे इस पद पर हैं।

Bhagwan कहते हैं कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होगी। हमने सोमवार होने के कारण सफेद कपड़े तैयार किए हैं, लेकिन शायद भगवान को पीतांबर कपड़े पहना जाए। पीले कपड़े भी तैयार कर रहे हैं।
ठंड के अनुसार बनाए रहे कपड़े
भगवान ने कहा कि रामलला के लिए अलग-अलग रंग के कपड़े बना रहे हैं। ठंड को देखते हुए सात रंगों का मखमल का कपड़ा बनाया जा रहा है। उनका कहना था कि भगवान ने रामजन्मभूमि की भूमि पूजन के दौरान भगवान के लिए हरे रंग के कपड़े बनाए थे।