देहरादूनः गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सभागार कक्ष में शिक्षक संघ एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के संयुक्त तत्वावधान में नवनियुक्त कुलपति प्रो0 हेमलता के. एवं निर्वतमान कुलपति प्रो0 अम्बुज कुमार शर्मा का सम्मान एवं स्वागत समारोह आयोजित किया गया।
इस अवसर पर नवनियुक्त कुलपति प्रो0 हेमलता के. ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द के दूरदर्शी आदर्शों में गहराई से गुरुकुल कांगड़ी निहत संस्थान है। इसकी विशारद, ज्ञान चरित्रनिर्माण का एक प्रतीक जीवन और समाज को बदलने के लिए शिक्षा की सशक्तिकरण का एक प्रमाण है। उन्होंने समारोह में आह्वान करते हुए कहा कि कर्मचारियों को विश्वविद्यालय के उत्थान को पूरा करने के लिए एकजुट रहना चाहिए। विश्वविद्यालय की उत्कृष्टता अभूतपूर्ण ऊँचाई तक ले जाना हमारा पुनीत कर्तव्य है। हमें परम्परा और मूल्यों की समृद्धि विरासत में मिली है। और इसमें नवीनता और प्रकृति के धागे बुनना हमारा पवित्र कृर्तव्य है।
निवर्तमान कुलपति प्रो0 अम्बुज कुमार शर्मा ने कहा कि गुरुकुल में लम्बे अर्से तक काम करने के पश्चात् यह पता चला कि यह विश्वविद्यालय संस्कार और संस्कृति से परिपूर्ण है। इसलिए यह संस्थान अनुठा है। संघर्षो के दौर में भी कर्मचारियों ने इस संस्थान को बचाने के लिए संघर्ष करना जारी रखा है। प्रत्येक कर्मचारी और शिक्षक के अन्दर विश्वविद्यालय की आत्मा उनके अन्दर बसती है। जिस कुलपति ने विश्वविद्यालय में सकारात्मक पक्ष मजबूत किया है उस पक्ष को विश्वविद्यालय ने नामचीन अवश्य बनाया है।
आन्तरिक गुणवत्ता एवं आश्वासन प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो0 विवेक कुमार गुप्ता ने कहा कि प्रो0 अम्बुज शर्मा ने गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के इतिहास के पन्नों में अपना नाम अंकित करा दिया है। बहुत कम समय में प्रो0 शर्मा ने शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पदोन्नति के कार्य को कर आम आदमी के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ा दी है। प्रो0 वी0के0 सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय का माहौल सकारात्मक परम्पराओं की तरफ बढ़ता जा रहा है।
प्रो0 ब्रह्मदेव ने कहा कि शिक्षा के साथ आध्यात्मिक ज्ञान का वातावरण निर्माण करना शिक्षकों का पुनीत कर्तव्य है। प्रो0 नमिता जोशी ने कहा कि आज का यह समारोह यह साबित कर रहा है कि शिक्षक संघ और शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन एक पायदान पर खड़ी है। प्रो0 एल0पी0 पुरोहित ने कहा कि प्रो0 अम्बुज शर्मा द्वारा उल्लेखनीय काम किया है और यह कार्य केन्द्रीय बनने के दरवाजे अवश्य खोलेगा।
विश्वविद्यालय के वित्ताधिकारी प्रो0 देवेन्द्र कुमार गुप्ता ने अध्ययन काल से लेकर शिक्षक बनने तक का अनुभव समारोह में सांझा किया। विश्वविद्यालय के कुलपति को यह विश्वास दिलाया कि विश्वविद्यालय में पूरी पारदर्शिकता के साथ वित्तीय एवं प्रशासनिक कार्य में सहयोग किया जाएगा।
समारोह के संचालक एवं प्राच्य विद्या संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो0 प्रभात कुमार ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने एक ऐसे विश्वविद्यालय की कल्पना की है जो न केवल अकादमिक खोज का केन्द्र है बल्कि चरित्र विकास का केन्द्र भी है। इस विश्वविद्यालय में ज्ञान को मूल्यों के साथ सहजता से एकीकृत किया जाता है। जहां छात्रों को समग्र व्यक्तियों के रूप में पल्लवित किया जाता है। शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रजनीश भारद्वाज ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय शिक्षा का एक मन्दिर है जहां पर आर्य समाज की पद्धति से छात्रों के अन्दर संस्कार गढ़े जाते हैं। संस्था को आगे बढ़ाने के लिए आलोचनाओं से बचना चाहिए।
सकारात्मक सोच के साथ काम करना चाहिए। सामुहिक रूप से छात्र और शिक्षकों के बीच सकारात्मक सम्प्रेषण होना अत्यन्त आवश्यक है। मूल्यांकन अनुभाग के प्रभारी प्रकाश तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय में संघर्ष का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। संघर्ष का सामना शिक्षक व कर्मचारियों को एकजुट होकर करना है। शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के महामंत्री नरेन्द्र मलिक ने कहा कि विश्वविद्यालय में जब भी कोई संकट आया है। उस संकट का सामना कर्मचारियों ने सीने में गोली खाकर भी किया है। जब-जब विश्वविद्यालय पर संकट के बादल घिरे है। उनका सामना विश्वविद्यालय के शिक्षक व कर्मचारियों ने आपसी सौहार्द के साथ मिलकर किया है। डा0 दीपा गुप्ता एवं डा0 निशान्त ने दोनों कुलपतियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर डा0 राकेश कुमार जैन, डा0 राजकुमार भाटिया, डा0 अरूण कुमार, डा0 मनोज कुमार, डा0 सुरेखा राणा, डा0 बिन्दु अरोड़ा, डा0 उधम सिंह, डा0 अनिल धीमान, डा0 चिरंजीव बनर्जी, डा0 सुनीता रानी, डा0 मंजुषा कौशिक, डा0 कृष्ण कुमार, मंजीत, डा0 रोशन लाल, डा0 पंकज कौशिक, रमेशचन्द्र, उमाशंकर, डा0 मनीला, डा0 रीतु अरोड़ा, अंकित शर्मा, विजय प्रताप सिंह, अरविन्द कुमार शर्मा आदि उपस्थित रहे।