कानपुर: अखिलेश दुबे और गैंग से जुड़े अफसरों पर शिकंजा, एसआईटी जांच में कई विभागीय कर्मचारी घेरे में

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कानपुर। अधिवक्ता अखिलेश दुबे और उनके सहयोगियों के खिलाफ एसआईटी की जांच ने बड़ा खुलासा किया है। जांच में सामने आया है कि एक संगठित गिरोह बनाकर दुष्कर्म व छेड़छाड़ जैसे गंभीर मामलों में फर्जी एफआईआर दर्ज कराकर जबरन वसूली की जा रही थी। खास बात यह है कि इस पूरे नेटवर्क में पुलिस, नगर निगम, केडीए, जिला प्रशासन समेत कई विभागों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल पाए गए हैं।

एडीसीपी क्राइम अंजलि विश्वकर्मा ने बताया कि एसआईटी को ऐसी कई शिकायतें मिली हैं, जिनकी तफ्तीश में अब विभागीय कार्रवाई और रिपोर्ट दर्ज करने की तैयारी हो रही है। भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक रवि सतीजा ने अपनी शिकायत में कुछ पुलिसकर्मियों के नाम भी बताए हैं। इनमें से एक इंस्पेक्टर तो उन्हें खुद अखिलेश दुबे के दफ्तर तक ले गया था। अब उस इंस्पेक्टर की भी जांच की जा रही है।

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जल्द बनेगी उच्चस्तरीय कमेटी

एसआईटी की सिफारिश पर अन्य विभागों के जिन कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं, उन्हें उनके वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए अधिकारियों की एक विशेष कमेटी गठित की जा रही है, जो इन मामलों की बारीकी से जांच करेगी।

ऑपरेशन महाकाल में भी खुल रहे कई राज

5 अगस्त को शुरू हुए ‘ऑपरेशन महाकाल’ में नगर निगम, केडीए, आरटीओ और स्वास्थ्य विभाग के दलालों और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार शिकायतें आ रही हैं। इनमें पुलिस, ज्वाइंट सीपी, डीसीपी, एडीसीपी, एसीपी कार्यालयों से जुड़े लोग भी शामिल हैं। IGRS के अंतर्गत आने वाली जमीनों पर कब्जा, फर्जी दस्तावेज बनाना और नोटिस जारी करने जैसे मामलों में कई भूमाफिया और सरकारी कर्मचारी संलिप्त पाए जा रहे हैं।

पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ दो स्वतंत्र शिकायतें आती हैं, तो उसकी जांच अनिवार्य रूप से कराई जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।