नैनीताल के एकमात्र जिला पुरुष चिकित्सालय बीडी पांडे में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के खिलाफ एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने मान लिया कि नैनीताल में अभी भी चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है। इस पर कोर्ट ने नगर के जागरूक नागरिकों, एनजीओं और अधिवक्ताओं से जुलाई तक अपने सुझाव देने को कहा है ताकि एम्स जैसी बेहतर चिकित्सा सुविधाओं को यहां उपलब्ध कराया जा सके। मामला न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल और मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी की खंडपीठ में विचाराधीन था।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने सरकार से पूछा था कि क्या एम्स की तरह एक जिले में हॉस्पिटल खोला जा सकता है। केंद्र सरकार ने बताया कि एम्स की एक ब्रांच ऋषिकेश में खुल गई है, जिसकी सेटेलाइट रुद्रपुर में बनाई जा रही है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि नैनीताल भी राज्य का उच्च न्यायालय है। उसको भी एम्स की तरह चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता की रिपोर्ट पर आदेश पारित होने के बाद भी सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई सुधार नहीं किया। सुनवाई में अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि हॉस्पिटल में अभी भी कई सुविधाओं की कमी है, जिससे मरीजों को अन्य हॉस्पिटलों का चक्कर लगाना पड़ता है।
मामले में अशोक शाह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि हॉस्पिटल जिले का प्रमुख हॉस्पिटल होने के बावजूद कर्मचारियों को छोटी सी जांच करने के लिए सीधे हल्द्वानी भेजा जाता है। इस हॉस्पिटल में दूरदराज से आने वाले मरीज जिले से इलाज कराने आते हैं, लेकिन वे जांच करके हायर सेंटर रेफर किए जाते हैं। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि इस हॉस्पिटल को सभी सुविधाएं दी जाएं ताकि दूरदराज से आने वाले लोगों को समय पर इलाज मिल सके।