गुजरात की 16 साल की हीर का सपना था कि वह डॉक्टर बन जाएगी। गुजरात बोर्ड ने 11 मई को 10वीं का रिजल्ट जारी किया। जिसमें हीर ने परीक्षा में 99.70 प्रतिशत अंक पाए। हीर का नाम बोर्ड में सर्वश्रेष्ठ था। हीर ने परीक्षा में 100 अंक और विज्ञान में 94 अंक हासिल किए, लेकिन पांचवें दिन ब्रेन हैमरेज से मर गई। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर का सपना डॉक्टर बनने का टूट गया था, लेकिन राजकोट, गुजरात में रहने वाले हीर के परिवार ने इसके बाद भी मिसाल दी है। परिवार ने अपनी बेटी को हीर की आंखों से सजाकर साहस की एक नई मिसाल दी है।
राजकोट में रहने वाली मोरबी के प्रफुल्लभाई घेटिया की बेटी हीर को महीने भर पहले ब्रेन हैमरेज हुआ था। हीर के परिवार ने राजकोट के निजी अस्पताल में हीर का इलाज करवाया था। लेकिन कुछ दिनों बाद हीर को फिर से सांस लेने और हार्ट में तकलीफ शुरू हो गई। इसके बाद परिवार ने हीर को राजकोट में ट्रस्ट द्वारा संचालित होने वाले बी टी सवानी अस्पताल में भर्ती कराया।