बिल्डर बाबा साहनी की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने धोखाधड़ी (IPC 420) और जबरन वसूली (IPC 385) की दो धाराएं लगाई हैं। मृत्यु से पहले साहनी के 16 मई को दिए गए प्रार्थनापत्र को जांच में शामिल करते हुए धाराओं में वृद्धि हुई है। साहनी ने इस प्रार्थनापत्र में खुद की जान का खतरा बताया था।
माना जाता है कि साहनी ने इसी बीच आत्महत्या कर ली जब पुलिस मामले की जांच कर रही थी।गत शुक्रवार को रिहायशी इमारत की आठवीं मंजिल से कूदकर बिल्डर सतेंद्र साहनी, जिसे बाबा साहनी भी कहा जाता था, ने आत्महत्या कर ली।
सहारनपुर निवासी गुप्ता बंधुओं में से एक अजय गुप्ता और उसके बहनोई अनिल गुप्ता को उनके पास से मिले सुसाइड नोट के आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया था। रिहायशी कांप्लेक्स के निर्माण में साहनी ने अनिल गुप्ता से सहयोग करने का आरोप सुसाइड नोट में लगाया था। लेकिन अजय गुप्ता ने उन पर पूरा प्रोजेक्ट अपने नाम कराने का दबाव डालने लगा।
जबरन वसूली करने के लिए डराने की धाराएं भी जोड़ी
साहनी ने आत्महत्या करने से पहले पुलिस को ठीक आठ दिन पहले एक शिकायती प्रार्थनापत्र भेजा था। इसमें उन्होंने अजय गुप्ता और अनिल गुप्ता को धोखाधड़ी और जबरन वसूली करने के लिए धमकाने के आरोप लगाए थे। अब तक पुलिस ने आत्महत्या को उकसाने के आरोपों की जांच की है। लेकिन अब इस प्रार्थनापत्र में धोखाधड़ी और जबरन वसूली के लिए डराने की धाराएं भी शामिल हैं।
पूरे मामले की सख्त जांच की जा रही है। अगली कार्रवाई प्राप्त हुई जानकारी पर निर्भर करेगी। साथ ही, पुलिस इस मामले में साहनी कारोबार से जुड़े लोगों और उनके परिवारों के बयान दर्ज कर रही है। साहनी और गुप्ता के बीच कुछ मुद्दों पर हुए विवाद की भी जांच की जा रही है। अजय सिंह, एसएसपी
अजय गुप्ता व अनिल गुप्ता ने सत्र न्यायालय में दी जमानत अर्जी
सोमवार को अजय गुप्ता और अनिल गुप्ता की जमानत मजिस्ट्रेट कोर्ट ने खारिज कर दी थी। दोनों अधिवक्ताओं ने अब सत्र न्यायालय में जमानत की मांग की है। 30 मई को इस प्रार्थनापत्र पर सत्र न्यायालय सुनवाई करेगा। ध्यान दें कि सोमवार को अभियोजन और बचाव के बीच हुई बहस में एसीजेएम तृतीय की कोर्ट ने बचाव की दलील को बेबुनियाद बताया। एफआईआर और सुसाइड नोट इस मामले में अभियोजन का आधार था।