Dehradun: 13 साल बाद युवा आइस स्केटिंग में अपना हुनर दिखाने का अवसर मिलेगा, रिंक की मरम्मत शुरू

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13 साल बाद उत्तराखंड के युवाओं को आइस स्केटिंग रिंक में अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। इसके लिए, साउथ-ईस्टर्न एशिया के एकमात्र आइस स्केटिंग रिंक को सालों से बदहाल होने से बचाने का प्रयास शुरू हो गया है।

महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर में बने देश के इस एकमात्र इंडोर रिंक में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय आयोजन होने थे, लेकिन इसके बनने के बाद एक आयोजन को छोड़ यहां न कोई आयोजन हुए और न ही खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। दरअसल, रिंक बनने के बाद इसे एक निजी कंपनी की ओर से संचालित किया जा रहा था, लेकिन इसी साल सरकार ने इसे संभालने का जिम्मा संभाला है। ऐसे में लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद खत्म हुई आचार संहिता के साथ ही इस रिंक का कायाकल्प शुरू कर दिया गया है। ऐसे में खिलाड़ियों को उम्मीद है कि इस साल रिंक का लाभ उन्हें मिल सकता है।

2011 साउथ-ईस्टर्न एशियन विंटर गेम्स के लिए इस आइस स्केटिंग रिंक को 80 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था। भारत के अलावा पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका भी इसमें भाग लिया था। उत्तराखंड आइस स्केटिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव पैन्यूली ने कहा कि राज्य के खिलाड़ी दूसरे राज्यों में अभ्यास कर रहे हैं, विश्वस्तरीय रिंक होने के बावजूद। यही कारण है कि खिलाड़ियों को एक बार फिर रिंक खुलने से उम्मीद जगी है कि उन्हें अपने राज्य में ही सुविधाएं मिलेंगी।

सीमेंट के ट्रैक पर करते हैं अभ्यास

खिलाड़ी अभी उत्तराखंड के एकमात्र आइस स्केटिंग रिंक की दुर्दशा के कारण दूसरे राज्यों में अभ्यास कर रहे हैं. जो खिलाड़ी बाहर नहीं जा पाते, वे सीमेंट के ट्रैक पर अभ्यास कर रहे हैं।

गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति भी बदहाल

स्पोर्ट्स कॉलेज के प्रवेश द्वार के पास गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति की हालत खराब है। रखरखाव की कमी के कारण मूर्ति के आसपास घास उग गया है। इतना ही नहीं, मूर्ति का रंग उतरने के साथ-साथ उसकी पहचान भी नहीं होती।