तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज और स्थानीय लोगों ने बदरीनाथ धाम में वीआईपी व्यवस्था और बामनी गांव जाने वाले आम रास्ते को बंद करने का विरोध किया। बदरीनाथ मंदिर के आसपास सब लोग विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्रित हो गए हैं।
रविवार 12 मई को बारिश की फुहारों के बीच सुबह छह बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए थे। इस दौरान जय बदरीनाथ के जयघोष से संपूर्ण बदरीशपुरी गुंजायमान हो उठी।
तीर्थयात्री देर रात से भगवान बदरीनाथ का दर्शन करने के लिए लाइन में खड़े हो गए थे। लाइन सुबह करीब दो किमी तक पहुंच गई थी। कपाटोद्घाटन से देर शाम तक करीब 20 हजार लोगों ने दर्शन किए। बदरीनाथ धाम में भी तीर्थयात्रियों ने अखंड ज्योति का दर्शन किया। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया तड़के चार बजे से शुरू हुई।
हाल ही में लाखों लोग बदरीनाथ धाम की यात्रा कर चुके हैं। पिछले आंकड़ों को देखें: 2016 में 6,54,355, 2017 में 9,20,466, 2018 में 10,48,051, 2019 में 12,44,993 और 2020 में कोरोना संकट के कारण 1,55,055 श्रद्धालु बदरीनाथ पहुंचे. 2021 में 1,97,997 श्रद्धालु पहुंचे, जबकि कोरोना महामारी पर नियंत्रण के बाद 2022 में 17,63,549 और 2023 में रिकार्ड 18,39,591 श्रद्धालु पहुंचे। इस वर्ष भी रिकॉर्ड पंजीकरण से तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी।
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा पूर्ण रूप से शुरू हो गई है, लेकिन मौसम और व्यवस्थाएं भी तीर्थयात्रियों की आस्था की परीक्षा ले रही हैं। इसके बावजूद आस्था चुनौतियों पर भारी पड़ रही है।
चार धामों में तीर्थयात्रियों की बहुतायत है। देखने में एक लंबी कतार लगती है। 10 मई को गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। रविवार को बदरीनाथ धाम के कपाट विधिविधान से खोले गए। यात्रा के तीन दिनों में चारों धामों में लगभग डेढ़ लाख लोगों ने दर्शन किए हैं। केदारनाथ धाम में सबसे ज्यादा 75 हजार से अधिक लोगों ने दर्शन किए।
ऋषिकेश और हरिद्वार में ऑफलाइन पंजीकरण करना मुश्किल है। यात्रा में चुनौतियों को देखते हुए पुलिस ने यात्रियों से कुछ दिनों के लिए यात्रा स्थगित करने का अनुरोध किया, लेकिन तीर्थयात्रियों की लगन चुनौतियों पर भारी पड़ रही है।