संदीप चमोली: सुरक्षा मानकों की अनदेखी से हो रही हैं दुर्घटनाएं

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चमोली, उत्तराखंड | संवाददाता:
उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में हेली सेवाओं की बढ़ती दुर्घटनाएं अब एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। हालिया घटनाओं ने साफ कर दिया है कि न सिर्फ हेली कंपनियों की लापरवाही, बल्कि संबंधित सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत और सरकार की निष्क्रियता भी इसके पीछे एक बड़ा कारण है।

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रविवार को हुई एक और दुर्घटना में स्थानीय लोग बाल-बाल बचे। लेकिन यह कोई पहली घटना नहीं है—पिछले कुछ वर्षों में हेली सेवाओं से जुड़ी कई दुर्घटनाएं सामने आ चुकी हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक सरकार और प्रशासन इन घटनाओं को नजरअंदाज करता रहेगा?

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता एवं अधिवक्ता संदीप चमोली ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा,

> “उत्तराखंड में हेली सेवाओं को बिना उचित गुणवत्ता जांच और सुरक्षा मानकों के, धड़ल्ले से लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। सरकार और नागरिक उड्डयन विभाग की लापरवाही से कंपनियां यात्रियों और स्थानीय लोगों की जान को जोखिम में डाल रही हैं।”

 

उन्होंने कहा कि हेली सेवाएं केवल मुनाफा कमाने के उद्देश्य से चलाई जा रही हैं, जबकि सुरक्षा नियमों को ताक पर रख दिया गया है।

> “जिन अधिकारियों पर हेली कंपनियों की जांच और निगरानी की जिम्मेदारी है, वे ही इन कंपनियों को संरक्षण दे रहे हैं। अब तक किसी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है,” — संदीप चमोली

 

छवि पर भी असर

लगातार हो रही इन घटनाओं का प्रभाव सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा पर नहीं, बल्कि उत्तराखंड की राष्ट्रीय छवि पर भी पड़ रहा है। केदारनाथ जैसे पवित्र और संवेदनशील धार्मिक स्थल पर ऐसी घटनाएं राज्य की प्रबंधन क्षमता पर भी सवाल खड़े करती हैं।

सख्त कदम उठाने की मांग

कांग्रेस प्रवक्ता ने राज्य सरकार से मांग की है कि:

सभी हेली कंपनियों के लाइसेंस और कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाए।

केदारनाथ और अन्य धार्मिक स्थलों पर हेली सेवाओं के संचालन के लिए सख्त दिशा-निर्देश तय किए जाएं।

सरकार कब लेगी सबक?

उत्तराखंड जैसे दुर्गम और धार्मिक महत्व वाले राज्य में हवाई सेवाएं राहत और सुगमता का एक जरिया हो सकती हैं, लेकिन लापरवाही, भ्रष्टाचार और मिलीभगत से यह सुविधा अब जानलेवा साबित हो रही है।
सरकार को अब चेतना होगा — वरना अगली दुर्घटना और बड़ी त्रासदी बन सकती है।