उत्तरकाशी बादल फटने की घटना: लापता 70 लोगों की तलाश में राहत-बचाव कार्य जारी, पीएम मोदी ने सीएम से ली जानकारी

0
33

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से भारी तबाही मची। ऊंचाई वाले क्षेत्र में बादल फटने से खीरगंगा नदी में बाढ़ आ गई, जिससे चार लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 70 लोग लापता बताए जा रहे हैं। आज सुबह से राहत और बचाव कार्य जारी है।

पीएम मोदी ने की सीएम धामी से बातचीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बातचीत की और धराली क्षेत्र में आई आपदा व राहत-बचाव कार्यों की जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य सरकार पूरी तत्परता से राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई है। लगातार हो रही भारी बारिश के कारण कुछ क्षेत्रों में दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन सभी संबंधित एजेंसियां समन्वय के साथ काम कर रही हैं ताकि प्रभावितों को तत्काल सहायता मिल सके।
प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

Ads

मलबे में फंसी गाड़ी
नरेंद्रनगर के पास प्लास्डा चौकी से आगे एक इनोवा कार मलबे में फंस गई थी। कुछ समय बाद गाड़ी को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया।

बड़कोट: यमुनोत्री घाटी में भारी बारिश से हड़कंप
यमुनोत्री घाटी में लगातार तीसरे दिन भारी बारिश जारी है। यमुना और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच चुका है। स्याना चट्टी क्षेत्र में यमुना और कुपड़ा खड्ड में बहाव के साथ आया मलबा और पत्थर लोगों के लिए खतरा बन गए हैं। यमुनोत्री हाईवे कई स्थानों पर बंद पड़ा है जिससे आमजन की आवाजाही ठप हो गई है।

सड़कों की स्थिति खराब
उत्तरकाशी में नेताला से लेकर भटवाड़ी के पापड़गाड़ तक दो स्थानों पर सड़क धंसी हुई है। गंगोत्री हाईवे पर नेताला और मनेरी-ओंगी के बीच सड़क कट रही है। पापड़गाड़ में आज सड़क खुलना बेहद मुश्किल माना जा रहा है।

विक्षोभ ने लिया विकराल रूप
उत्तरकाशी की आपदा का पैटर्न वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई जलप्रलय जैसा ही बताया जा रहा है। दोनों घटनाओं के पीछे भूमध्य सागर से उठे पश्चिमी विक्षोभ का हिमालय से टकराना प्रमुख कारण रहा है।
आईआईटी रुड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर अंकित अग्रवाल का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अब पश्चिमी विक्षोभ और मानसून उत्तर की ओर खिसक रहे हैं। 2013 में केदारनाथ में जो विक्षोभ प्रभावी था, वैसा ही प्रभाव मंगलवार को उत्तरकाशी में देखा गया।
गौरतलब है कि प्रोफेसर अग्रवाल जर्मनी की पॉट्सडैम यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर इंडो-जर्मन परियोजना पर काम कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं जैसे बादल फटना और अत्यधिक वर्षा का पूर्वानुमान और अध्ययन करना है।