Uttarakhand: अवैध कब्जाधारियों की आफत…AI के 188 अलर्ट और अतिक्रमण ध्वस्त, हर सरकारी भूमि पर बारीक नजर

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उत्तराखंड गवर्नमेंट एसेट मैनेजमेंट सिस्टम (यूकेजीएएमएस) ने सरकारी भूमि पर रातोंरात अवैध कब्जे करने वालों की शामत ला दी है। पिछले छह माह में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) ने तीन जिलों की सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण के 188 अलर्ट दिए, जिस पर विभागों ने टीम भेजकर तत्काल अतिक्रमण हटाया।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने सेटेलाइट के 50 सेंटीमीटर उच्च रिजॉल्यूशन पर सभी विभागों की सरकारी जमीनों की मैपिंग करते हुए बफर जोन बनाए हैं। एआई आधारित यूकेजीएएमएस पोर्टल के माध्यम से इन बफर जोन की निगरानी शुरू की गई।

धीरे-धीरे इसका असर नजर आने लगा। पिछले छह माह में सेटेलाइट ने तीन जिलों में जमीनों पर 188 अतिक्रमण पकड़े और विभागों को सीधे रेड अलर्ट भेज दिया। अलर्ट के साथ उस जमीन की पूरी वर्चुअल लोकेशन भी भेजी गई, जिससे टीम को वहां पहुंचने में आसानी हुई। लोकेशन मिलते ही विभागों की टीम ने मौके पर पहुंचकर उस अतिक्रमण को सच पाया और हटा दिया। 

सबसे ज्यादा कब्जों के अलर्ट देहरादून में

देहरादून : राजस्व परिषद के 65, नगर निगम के 20, स्वास्थ्य विभाग के 11, खेल विभाग के छह, जल संस्थान व महिला सशक्तीकरण के चार-चार, पशुपालन व पिटकुल के तीन-तीन, उद्योग, नगर पालिका डोईवाला, लोनिवि, शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग व पुलिस के दो-दो, रेशम विभाग, युवा कल्याण, कौशल विकास व सिंचाई विभाग के एक-एक अलर्ट।
ऊधमसिंह नगर : शिक्षा विभाग के 15, राजस्व परिषद के 14, शहरी विकास निदेशालय के सात, पुलिस, परिवहन व उत्तराखंड कृषि उत्पादन एवं विपणन परिषद के दो-दो, उद्योग, स्वास्थ्य, पंचायती राज, पेयजल निगम, लोनिवि, दुग्ध विकास, सिंचाई, जल संस्थान, यूपीसीएल के एक-एक अलर्ट।
नैनीताल : राजस्व परिषद के दो, पंचायती राज, सिंचाई, महिला सशक्तीकरण के एक-एक अलर्ट।

मोबाइल से होता है पूरा काम
यूसैक की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि इस सिस्टम को इस तरह से तैयार किया गया है कि विभागों के अधिकारी-कर्मचारी सीधे मोबाइल में भी संचालन कर सकते हैं। अलर्ट आने के बाद टीम मौके पर पहुंचती है और वहां की तस्वीरें व वीडियो इस एप के माध्यम से साझा करती है। एआई उस डाटा को रीड करने के बाद अलर्ट हटा देता है।

योजनाओं में होगा कारगर
चूंकि सेटेलाइट के माध्यम से सभी खाली पड़ी सरकारी जमीनों की जानकारी सरकार के पास एक क्लिक पर उपलब्ध है, इसलिए किसी प्रोजेक्ट के लिए योजना बनाते समय जमीन की तलाश आसान होगी।