समान नागरिक संहिता संशोधन अधिनियम सदन में पेश
उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) में संशोधन किए जा रहे हैं। सरकार ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता उत्तराखंड संशोधन अधिनियम 2025 को सदन में प्रस्तुत किया, जिसे बुधवार को पारित किए जाने की संभावना है।
विवाह पंजीकरण की अवधि बढ़ाई गई
नए संशोधन के तहत अब विवाह पंजीकरण की समय सीमा छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी गई है। यदि निर्धारित समय पर विवाह का पंजीकरण नहीं कराया जाता है तो जुर्माना और दंड दोनों का प्रावधान होगा। इसके साथ ही सब-रजिस्ट्रार के समक्ष अपील, शुल्क और पैनल्टी को लेकर भी स्पष्ट व्यवस्था की गई है।

लिपिकीय त्रुटियों का सुधार
संशोधन में कई तकनीकी व कानूनी त्रुटियों को भी दूर किया गया है।
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दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के स्थान पर अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) लिखा जाएगा।
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कई स्थानों पर शुल्क (Fee) की जगह पैनल्टी (Penalty) शब्द का उपयोग किया जाएगा।
धोखे और दबाव से बने संबंधों पर सख्त प्रावधान
संशोधित अधिनियम में धारा 387 की उपधाराओं में बदलाव किया गया है।
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यदि कोई व्यक्ति बल, दबाव या धोखाधड़ी से किसी की सहमति प्राप्त कर सहवास संबंध स्थापित करता है तो उसे सात साल तक की सजा और जुर्माना भुगतना होगा।
धोखे से लिव-इन रिलेशन पर सजा
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धारा 380(2) के तहत, यदि कोई पहले से शादीशुदा व्यक्ति अपनी स्थिति छुपाकर लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है, तो उसे सात साल की सजा और जुर्माना मिलेगा।
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यह प्रावधान उन पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने लिव-इन संबंध को समाप्त कर दिया हो या जिनका साथी सात वर्ष से अधिक समय से लापता हो।
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वहीं, पूर्ववर्ती विवाह को समाप्त किए बिना लिव-इन रिलेशन में रहने वालों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 के तहत दंडित किया जाएगा। इसके तहत भी सात साल की सजा और जुर्माना निर्धारित है।
समान नागरिक संहिता में दो नई धाराएं जोड़ी गईं
संशोधन अधिनियम में दो नई धाराओं का प्रावधान किया गया है –
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धारा 390-क – विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप या उत्तराधिकार से जुड़े किसी पंजीकरण को निरस्त करने का अधिकार रजिस्ट्रार जनरल को होगा।
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धारा 390-ख – जुर्माने की वसूली भू-राजस्व बकाए की तरह की जाएगी और इसके लिए आरसी (Recovery Certificate) काटी जाएगी।