7 अगस्त: राहुल गांधी का बड़ा आरोप
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 7 अगस्त को चुनाव आयोग के मतदान प्रणाली (EVM और VVPAT) पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता खत्म होती जा रही है और चुनाव आयोग जनता के भरोसे पर खरा नहीं उतर रहा।
राहुल गांधी ने यह आरोप भी लगाया कि EVM में गड़बड़ी और हेराफेरी के जरिए चुनाव परिणाम प्रभावित किए जा रहे हैं, जिससे जनता की वास्तविक मर्जी चुनाव नतीजों में प्रतिबिंबित नहीं होती।
आरोपों की पृष्ठभूमि — कथित चुनावी धांधली के दावे
राहुल गांधी और विपक्ष के कई अन्य नेताओं ने पहले भी आरोप लगाया था कि

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EVM के सॉफ़्टवेयर में छेड़छाड़ कर वोटिंग पैटर्न बदले जा सकते हैं।
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कई मतदान केंद्रों से VVPAT और EVM के आंकड़ों में मेल न खाने की शिकायतें आईं।
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कुछ जगह बिना दबाए वोट, स्वतः एक पार्टी के खाते में जाने की घटनाएं सामने आईं।
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मतदान के बाद EVM की सुरक्षा और रखरखाव में लापरवाही, जिससे उसमें बदलाव की संभावना बढ़ जाती है।
8 अगस्त: विपक्ष का समर्थन और सोशल मीडिया पर बहस
राहुल गांधी के बयान के बाद विपक्षी दलों ने भी चुनाव आयोग पर निशाना साधा। सोशल मीडिया पर #EVMScam और #SaveDemocracy जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
लोगों ने पुराने चुनावों के उदाहरण और वीडियो शेयर किए, जिनमें कथित तौर पर EVM में गड़बड़ी दिखाई गई थी। कई पूर्व चुनाव अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों ने भी कहा कि EVM की पारदर्शिता पर सवाल उठना एक गंभीर मुद्दा है।
9 अगस्त: चुनाव आयोग की सफाई
राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि:
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EVM पूरी तरह सुरक्षित और छेड़छाड़-रोधी हैं।
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VVPAT से हर वोट की पुष्टि होती है, और 100% पारदर्शिता बरती जाती है।
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अब तक किसी भी तकनीकी जांच में EVM के साथ छेड़छाड़ साबित नहीं हुई।
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आयोग ने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों को बिना सबूत आरोप लगाने से बचना चाहिए।
10 अगस्त: कांग्रेस का पलटवार
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की सफाई को “अधूरी और बचाव वाला बयान” बताया। उन्होंने मांग की कि:
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VVPAT स्लिप्स की 100% गिनती होनी चाहिए।
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मतदान प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए सार्वजनिक निगरानी समिति बनाई जाए।
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EVM निर्माण और सॉफ़्टवेयर को स्वतंत्र तकनीकी ऑडिट के लिए खोला जाए।
मामले का राजनीतिक असर
यह विवाद अब चुनावी माहौल में एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
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विपक्ष इसे लोकतंत्र बचाने की लड़ाई बता रहा है।
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सत्ता पक्ष कह रहा है कि यह जनादेश को बदनाम करने की कोशिश है।
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आम जनता भी सोशल मीडिया और टीवी डिबेट में इस पर खुलकर चर्चा कर रही है।
निष्कर्ष
7 से 10 अगस्त के बीच राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच यह विवाद सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता, EVM की सुरक्षा और लोकतंत्र के भरोसे पर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सड़क से संसद तक आंदोलन करेगा या चुनाव आयोग इस पर और सख्त कदम उठाएगा।