GPT-5 हुआ लॉन्च, लेकिन चेतावनी भी साथ आई
ओपनएआई (OpenAI) ने हाल ही में अपना नया और शक्तिशाली भाषा मॉडल GPT-5 लॉन्च किया है। कंपनी का दावा है कि यह पहले की तुलना में ज्यादा सटीक, बेहतर रीजनिंग करने वाला और हेल्थ समेत मल्टीमॉडल क्षमताओं से लैस है। लेकिन इसके बावजूद, चैटजीपीटी प्रमुख निक टर्ली ने साफ कहा है कि AI पर आंख मूंदकर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है।
AI को क्यों न बनाएं जानकारी का मुख्य स्रोत
निक टर्ली के मुताबिक, ChatGPT को केवल “सेकेंड ओपिनियन” के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए, न कि जानकारी का प्राथमिक स्रोत। उन्होंने बताया कि GPT-5 की सटीकता पहले से ज्यादा है, लेकिन अब भी करीब 10% मामलों में यह गलत उत्तर देता है। इसे AI हैलुसिनेशन कहा जाता है, जब मशीन असली तथ्यों की बजाय काल्पनिक जानकारी प्रस्तुत कर देती है।

कैसे करता है AI गलती?
बड़े भाषा मॉडल (LLMs) दरअसल पैटर्न के आधार पर काम करते हैं। यह ट्रेनिंग डेटा के हिसाब से अगले शब्द का अनुमान लगाते हैं। ऐसे में जब इन्हें ट्रेनिंग डेटा से बाहर की जानकारी पर सवाल किया जाता है, तो ये सही लगने वाले लेकिन गलत जवाब दे देते हैं। यही वजह है कि पूरी तरह से AI पर निर्भर होना जोखिम भरा है।
समाधान क्या है?
टर्ली ने कहा कि ChatGPT तभी सबसे बेहतर काम करता है जब इसे सर्च इंजन या सत्यापित स्रोतों से जोड़ा जाता है। यही वजह है कि अब चैटजीपीटी में सर्च फीचर जोड़ा गया है ताकि यह ग्राउंड ट्रुथ यानी असली तथ्यों से जुड़ सके। हालांकि, उन्होंने माना कि भविष्य में AI हैलुसिनेशन की समस्या खत्म हो जाएगी, लेकिन अभी के लिए यह पूरी तरह संभव नहीं है।
OpenAI की अगली बड़ी योजना
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओपनएआई जल्द ही अपना खुद का वेब ब्राउजर लॉन्च करने पर काम कर रहा है। वहीं कंपनी के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में यह भी कहा कि अगर कभी गूगल को अपना क्रोम ब्राउजर बेचना पड़ा, तो ओपनएआई उसे खरीदने में दिलचस्पी दिखा सकता है।