सुख और संपन्नता परिवार में शामिल हैं। एमए, ट्रिपल एमए भी किया है। इसके बाद भी धर्म के कारण बहुत से युवा संन्यास करने लगे। धर्मनगरी में बहुत से युवा संत हैं, जो कम उम्र में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर संन्यास लिया और अब समाजसेवा कर रहे हैं और धर्म का प्रचार कर रहे हैं।
एमए करने के बाद महंत शिवम बन गए संत
महंत शिवम ने योग में स्नातक किया है। वे युवा होते ही संत बन गए। बताते हैं कि गुरु ने परंपरा को देखते हुए संन्यास किया। उनका लक्ष्य संत बनकर अपने जीवन को जानना और दूसरों का मार्गदर्शन करना है।
गुरु को देखकर संन्यास भी लिया: शास्त्री
श्री श्री रविदेव शास्त्री ने ट्रिपल मास्टर डिग्री प्राप्त की है। उनका कहना था कि किशोरावस्था में परिवार से अलग होने के बाद वह अपने गुरु की सेवा में लग गए। उन्होंने सिर्फ गुरु को देखकर संत बनने का फैसला किया। उसने कहा कि वह देश, समाज और धर्म की रक्षा करने के लिए काम करता है।
ओमानंद ने पढ़ाई करते हुए संत बन गया।
महंत ओमानंद वर्तमान में संस्कृत में स्नातक कर रहे हैं। तीन साल पहले, वे संत बन गए। महंत ओमानंद ने कहा कि युवा पीढ़ी आईएएस, पीसीएस, डॉक्टर आदि पदों की ओर भागने लगी। इस सबके बीच, उन्होंने निर्णय लिया कि वे संत बनेंगे। बताया गया है कि अपनी संस्कृति को बचाना भी हमारा दायित्व है।
सनातन की रक्षा का लक्ष्य: विद्यानंद
स्वामी विवेकानंद ने कहा कि वह एमए वेदांताचार्य है। सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए उन्होंने युवावस्था में ही संत बनने का निर्णय लिया था। जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है बताया, भटक रहे लोगों को सही राह दिखाना और हिंदुत्व और सनातन के प्रति लोगों को जोड़ना।