गुरु पूर्णिमा पर श्रीमहंत देवेंद्र दास जी का संदेश – “गुरु मार्गदर्शक ही नहीं, आत्मजागरण के प्रेरक हैं”

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देहरादून। गुरु भक्ति और अध्यात्म से ओत-प्रोत पर्व गुरु पूर्णिमा का भव्य आयोजन देहरादून स्थित श्री दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज में पूरे श्रद्धा भाव और भक्ति उल्लास के साथ संपन्न हुआ। देश-विदेश से आईं हज़ारों संगतों और श्रद्धालुओं ने इस पावन अवसर पर श्री गुरु राम राय जी महाराज के चरणों में अपनी आस्था अर्पित की और गुरु महिमा का भावपूर्ण स्मरण किया।

इस पावन दिन की शुरुआत श्री दरबार साहिब के सज्जादे गद्दीनशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज की विशेष पूजा-अर्चना और गुरु सिमरन से हुई। श्रीमहंत जी ने श्रद्धालुओं को गुरु के उपदेशों का सार समझाया और उनके जीवन में गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा,

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“गुरु ही वह प्रकाश स्तंभ हैं, जो अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर जीवन को सत्य, सद्गुण और संस्कारों की दिशा में ले जाते हैं।”

 

अपने उद्बोधन में श्रीमहंत जी ने ब्रह्मलीन गुरु श्रीमहंत इन्दिरेश चरण दास जी महाराज को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हुए उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प दोहराया। उन्होंने संगतों को दर्शन और आशीर्वाद भी प्रदान किया।

दूर-दराज से आई संगतों ने श्री दरबार साहिब में अरदास की और श्री झंडे जी पर माथा टेककर अपनी श्रद्धा निवेदित की। पूरे परिसर में भक्ति, अध्यात्म और भव्यता का दिव्य संगम देखने को मिला। भजन-कीर्तन और गुरु स्मरण से वातावरण गुंजायमान हो उठा।

श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने गुरु पूर्णिमा को ध्यान, आत्मचिंतन और गुरु शिक्षाओं के स्मरण का पर्व बताते हुए कहा कि गुरु के मार्गदर्शन से ही जीवन को आध्यात्मिक एवं नैतिक ऊँचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है।

कार्यक्रम के उपरांत विशेष लंगर प्रसाद का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ अर्जित किया।