लक्ष्मण और श्रीराम: जीवन के दो महान प्रतीक – मोरारी बापू के विचार

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ऋषिकेश। तीर्थ नगरी ऋषिकेश के मुनिकीरेती में प्रख्यात कथा वाचक मुरारी बापू के मुखारविंद से राम कथा का शुभारंभ हुआ। सत्य, प्रेम, करुणा का प्रसार कर विश्व में स्थापित करने वाले मोरारी बापू द्वारा यह 946 वीं कथा है। बापू ने कहा-राम मोक्ष के प्रतीक हैं। जबकि भरत काम के प्रतीक, लक्ष्मण धर्म के प्रतीक और शत्रुघ्न अर्थ के प्रतीक हैं।
तीर्थनगरी के मुनिकीरेती स्थित पूर्णानंद इंटर कालेज स्पोर्ट्स कांप्लेक्स ग्राउड में मानस ब्रह्म विचार राम कथा का आगाज हुआ। कथा के प्रथम दिवस पर उत्तराखंड सरकार एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से वित्तमंत्री एवं शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बापू का स्वागत किया। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मौजूद थे। कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि हाल ही में अयोध्या राम मंदिर बनने के बाद हम सभी ने पहली दीपावली मनाई है और ये हमारा सौभाग्य है कि इस उत्तराखंड में उनका दिव्य दर्शन का लाभ सभी राज्यवासियों को मिला है।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि बापू का जीवन तप भरा है। बापू 80 वर्ष की आयु में भी लगातार अविरल पूरे विश्व में भक्ति की अलख जला जनजागरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये बापू का और राम नाम का ही प्रताप है कि यूनाइटेड नेशन में भी श्री राम कथा आयोजित हुई। कथा श्रवण कर रहे भक्तों का सौभाग्य है कि गंगा किनारे हो रही कथा में छठ पर्व पर गंगा समान गुरु गोद में बैठ कर कथा श्रवण का पुण्य मिलेगा।

राम कथा के प्रथम दिन मोरारी बापू ने उत्तराखंड

सरकार, मुख्य अतिथियों, शासन प्रशासन और सभी लोगों का जिन्होंने प्रेम यज्ञ आहूति दी एवं कथा श्रवण करने आए सभी श्रद्धालु को साधूवाद दिया। बापू ने भारत देश में बेटियों के मान सम्मान एवं अधिकार की चर्चा करते हुए कथा की आयोजक सात बेटियों की प्रसंशा करते हुए बताया कि कैसे बेटियों का अधिकार अपने पिता पर होता है जिसका उदहारण है जो कथा चित्रकूट में होनी थी वो कथा अब ऋषिकेश में हो रही है। उन्होंने कहा भारत देश धन्य है कि यहां हमेशा से ही बेटियों का अपने पिता पर विशेष अधिकार होता है। कथा के केंद्र मानस ब्रह्म विचार के बारे में बापू ने कहा कि जहां आज आपस में, देश-देश में आदि हर जगह भ्रम जाल फैला है उसके अंधकार को दूर करने में ब्रह्म विचार एक औषधि है। बापू ने सात सोपान रुपी सात विचारों बाल काण्ड से विवेक विचार, आरण्य काणड से वैराग्य विचार, सुंदर काण्ड से वियोग विचार, लंका काण्ड से विलास विचार आदि के बारे में चर्चा की।

बापू ने सात रसों में वैराग रस की महिमा का वर्णन करते हुए राम कथा के प्रथम सोपान में प्रवेश किया। राम कथा में देश विदेश के हजारों श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए योगनगरी पहुंच रहे है। कथा का शुभारंभ परंपरागत हनुमान चालीसा एवं स्वस्ति वाचन से हुआ। योग नगरी में हो रही कथा में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भी कथा का रसपान किया