उत्तराखंड सरकार और दरबार साहिब का साझा सांस्कृतिक मिशन

0
37

देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय ने भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित सभी स्कूलों और विभागों की नामपट्टिकाएं अब संस्कृत भाषा में भी लगाई जाएंगी। यह व्यवस्था इस प्रकार होगी कि विभाग का नाम सबसे पहले संस्कृत में, फिर हिन्दी में और अंत में अंग्रेज़ी में अंकित किया जाएगा।

विश्वविद्यालय द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करना है। इस कार्य में उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा विभाग सहयोगी की भूमिका निभाएगा। उदाहरण के तौर पर श्री गुरु राम राय दरबार साहिब का नाम “श्री गुरुरामराय-दरबारसाहिबः, झण्डासाहिबः, देहरादूनम्” और श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल का नाम “श्री महन्त इन्दिरेश-चिकित्सालयः, चिकित्सा एवं अनुसंधानकेन्द्रम्, देहरादूनम्” लिखा जाएगा।

Ads

–अस्पताल में मंत्र चिकित्सा केंद्र की स्थापना

इस पहल का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में मंत्र चिकित्सा केंद्र की स्थापना। इस केंद्र में संस्कृत के विद्वान वैदिक मंत्रों जैसे महामृत्युंजय जाप और दुर्गा कवच आदि के माध्यम से असाध्य रोगों से पीड़ित मरीजों को मानसिक शांति एवं रोग प्रतिरोधक ऊर्जा प्रदान करेंगे।

यह चिकित्सा पद्धति आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ कार्य करेगी और विशेष रूप से उन मरीजों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी जिनकी स्थिति गंभीर है या जिनकी जीवन प्रत्याशा सीमित है। संस्कृत विभाग के विद्वान और उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ इस परियोजना में अनुसंधान भी करेंगे।

–संस्कृत को मिलेगा संस्थागत बल

संस्कृत भाषा को संस्थागत बल प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय और उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय एवं संस्कृत अकादमी के बीच एमओयू की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है। इसके माध्यम से द्वितीय राजभाषा संस्कृत के प्रचार, प्रशिक्षण और अनुसंधान को नया आयाम मिलेगा।

–प्रशासनिक व आध्यात्मिक समर्थन

इस अवसर पर उत्तराखंड शासन के सचिव (संस्कृत शिक्षा एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन) दीपक कुमार गैरोला ने श्री दरबार साहिब पहुंचकर महंत देवेंद्र दास महाराज से भेंट की और आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने ‘मेरी योजना’ पुस्तिकाएं भेंट करते हुए विश्वविद्यालय से अनुरोध किया कि सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में भी सहयोग दें।

महंत देवेंद्र दास महाराज ने आश्वस्त किया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति और लोककल्याण के हर क्षेत्र में दरबार साहिब अग्रणी भूमिका निभाता रहा है और भविष्य में भी निभाता रहेगा। उन्होंने यह भी स्मरण कराया कि 1931 में दरबार साहिब में सबसे पहले संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना हुई थी — और वही परंपरा अब नए स्वरूप में आगे बढ़ रही है।