चमोली आपदा: बची जान लेकिन अब रोटी, कपड़ा और मकान का संकट, चेपड़ों में शुरू हुई सामुदायिक रसोई

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आपदा से उजड़ गए घर और दुकानें

चमोली जिले के थराली तहसील में आई आपदा ने कई परिवारों की जिंदगी पूरी तरह बदल दी है। चेपड़ों और आसपास के इलाकों में कई घर और दुकानें मलबे के ढेर में तब्दील हो गए हैं। सोमवार तक प्रशासन ने चेपड़ों कस्बे के 96 प्रभावित परिवारों की सूची तैयार की, जिनमें से कई लोगों के घर और दुकान दोनों ही नष्ट हो गए हैं। लोअर थराली में भी 12 से अधिक दुकानें क्षतिग्रस्त बताई जा रही हैं। ऐसे में परिवारों के सामने सबसे बड़ा सवाल बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की दवा और रोज़मर्रा के खर्चों को कैसे पूरा किया जाए, यही है।

सैलाब ने छीनी रोज़ी-रोटी

22 अगस्त की रात को आए सैलाब ने थराली मुख्यालय और उसके आसपास के कस्बों में भारी तबाही मचाई। चेपड़ों गदेरे का उफान चेपड़ों बाजार को पूरी तरह मलबे में बदल गया। यहां वीडियोग्राफी और अन्य काम करने वाले भरत सिंह ने बताया कि उनकी दुकान में कंप्यूटर सहित करीब 30 से 35 लाख का सामान दब गया। दुकान ही उनके परिवार की रोज़ी-रोटी का सहारा थी। दुकान खत्म होते ही परिवार सड़क पर आ गया और बच्चों की पढ़ाई भी संकट में पड़ गई।

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किराये पर दुकान चलाने वाली कमला देवी ने बताया कि उनकी दुकान में अब सिर्फ मलबा बचा है। परिवार का खर्चा और बच्चों की पढ़ाई आगे कैसे होगी, इसका जवाब उनके पास नहीं है।

वर्षों का कारोबार मलबे में दबा

चेपड़ों में हार्डवेयर का कारोबार करने वाले दर्शन ने बताया कि वे बीते 15 साल से यहां व्यवसाय कर रहे थे। उनके बच्चे बाहर पढ़ाई कर रहे हैं और उनकी पढ़ाई का खर्च पूरी तरह इसी दुकान से चलता था। अब दुकान के मलबे में दबने से उनका भविष्य अंधेरे में चला गया है। थोक और फुटकर विक्रेता लक्ष्मी प्रसाद जोशी ने भी बताया कि उनकी परचून की दुकान पूरी तरह तबाह हो गई है और परिवार रोज़ी-रोटी के संकट से जूझ रहा है।

सामुदायिक रसोई बनी सहारा

चेपड़ों के आपदा प्रभावित लोगों के लिए राजकीय प्राथमिक विद्यालय में राहत शिविर बनाया गया है। यहां सोमवार तक 55 प्रभावित लोग पहुंच चुके हैं। इन लोगों के लिए प्रशासन ने सामुदायिक रसोई शुरू की है। तहसीलदार अक्षय पंकज ने बताया कि रसोई के लिए खाद्यान्न सामग्री और अन्य आवश्यक चीजें प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई हैं। यहां प्रभावित लोग खुद मिलकर भोजन तैयार कर रहे हैं ताकि सभी को समय पर खाना मिल सके।

पहचान और दस्तावेज भी बर्बाद

आपदा ने न सिर्फ घर और दुकानें छीनीं बल्कि लोगों की पहचान से जुड़े दस्तावेज भी नष्ट कर दिए। कोटडीप थराली में 12 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। जय सिंह के परिवार के आधार कार्ड और बच्चों के अन्य दस्तावेज मलबे में समा गए। 23 वर्षीय संदीप सिंह ने बताया कि उनके शैक्षणिक दस्तावेज भी इस आपदा में खो गए। सावित्री देवी ने बताया कि उनके कपड़े और जेवर सब सैलाब बहा ले गया।

सरकारी कार्यालय भी तबाह

थराली में जल संस्थान का अवर अभियंता कार्यालय भी इस आपदा से बच नहीं सका। मलबे ने पूरे कार्यालय को ढक दिया, जिससे वहां रखे सरकारी दस्तावेज और सामग्री पूरी तरह नष्ट हो गए। इससे प्रशासनिक कार्यों पर भी असर पड़ रहा है।