हर साल की तरह इस साल भी कैंची धाम में 15 जून 2025 को प्रसिद्ध भंडारे का आयोजन किया जाएगा. जहां लाखों लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं. कैंची आश्रम में हनुमानजी और अन्य मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा 15 जून को अलग अलग वर्षों में की गई थी. इस तरह से 15 जून को प्रतिवर्ष प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है. नीम करोली बाबा ने स्वयं भी कैंची धाम का प्रतिष्ठा दिवस 15 जून को तय किया था. नीम करोली बाबा ने 10 सितंबर 1973 को महासमाधि ली थी और भौतिक शरीर को छोड़ा था. उनके अस्थि कलश को कैंची धाम में स्थापित किया गया था और इस तरह बाबा के भक्तों ने बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य 1974 में शुरू किया.
15 जून 1976 को महाराज की मूर्ति की स्थापना और अभिषेक किया गया और उस समय सभी ने नीम करोली बाबा की भौतिक उपस्तिथि को महसूस किया. फिर वैदिक मंत्रोचार के साथ विशिष्ट विधि से बाबा की मूर्ति की स्थापना हुई और नीम करोली बाबा कैंची धाम में गुरुमूर्ति रूप में विराजित हुए.

बाबा के भीतर देवभूमि के लिए बहुत प्रेम था
बाबा नीम करौली 20 शताब्दी में उत्तराखंड आये थे, यहीं 1942 में कैंची गांव का उन्होंने पहली बार भ्रमण किया. उस समय एक स्थानीय ग्रामीण से उनकी भेंट हुई थी. उन्होंने बाबा से पूछा था कि उनके अगले दर्शन कब होंगे. तब बाबा ने कहा था कि 20 वर्ष बाद मैं फिर कैंची आऊंगा. सन 1962 में उन्होंने पुनः कैंची की यात्रा की तथा नदी के तट पर खड़े होकर तट के दूसरी तरफ जहां दो महान संतों प्रेमी बाबा एवं सोमवारी बाबा ने हवन किया था, जाने की इच्छा प्रकट की थी. मां के साथ नदी के साथ चलते हुए 25 मई 1962 के ऐतिहासिक दिन बाबा ने उसी जगह अपने पवित्र पग रखे थे. जहां आज कैंची मंदिर है.
वर्ष 1965 में हनुमान मंदिर को पूरा किया गया, एवं उसी वर्ष 15 जून को पहली बार भंडारा का आयोजन किया गया था. जिसके बाद से प्रत्येक वर्ष इसी तिथि के दिन मंदिर परिसर में प्रतिष्ठापन समारोह आयोजित किया जाता है. बाबा ने कहा था एक समय ऐसा आएगा कि कैंची धाम में भक्तों का सैलाब आएगा और यहां एक छोटा शहर बस जाएगा. कैंची धाम” के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है. बाबा के भक्तों का मानना है कि बाबा हनुमान जी के अवतार थे.
कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता. यहां पर मांगी गई मनोकामना पूर्णतया फलदायी होती है. बाबा मंदिर परिसर एक ऐसा दिव्य शांति स्थल है जहां सब एक हो सूक्ष्म में विलीन होने की अनुभूति करते हैं. विभिन्न धर्मों के लोग इस दिव्य स्थल पर आते हैं. बीते वर्ष कैंची धाम में करीब 24 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जबकि इससे पहले के वर्षों में यह आंकड़ा महज 8 लाख के आसपास रहता था. इस वर्ष 15 जून को मनाए जाने वाले कैंची धाम स्थापना दिवस के मौके पर श्रद्धालुओं की संख्या 2.5 से 3 लाख तक पहुंचने की संभावना है. धाम की धारण क्षमता सीमित है, जबकि भीड़ उससे कई गुना अधिक होती है, जिससे यातायात व्यवस्था और सुरक्षा पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी.