क्या है पूरी कहानी “गंगोत्री क्रूज में छिपे आतंकी, हेलिकॉप्टर से एनएसजी कमांडो ने किया रेस्क्यू; सहम गए पर्यटक” ऑपरेशन की?

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कमांडो
Army soldiers fighting with guns and defending their country

कभी-कभी हकीकत किसी फिल्म से भी ज़्यादा रोमांचक हो जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ “गंगोत्री क्रूज में छिपे आतंकी, हेलिकॉप्टर से एनएसजी कमांडो ने किया रेस्क्यू; सहम गए पर्यटक” वाले हादसे में। शांत और मनमोहक गंगोत्री नदी पर चल रही एक साधारण क्रूज यात्रा कुछ ही पलों में दहशत में बदल गई। पर्यटक, जो कुछ देर पहले हंसी-मज़ाक में मस्त थे, अचानक डर के साए में आ गए जब ख़बर फैली क्रूज में आतंकी छिपे हुए हैं!

एनएसजी कमांडो की एंट्री जैसे किसी एक्शन थ्रिलर फिल्म का सीन लग रही थी, लेकिन यह कोई स्क्रिप्ट नहीं थी यह ज़मीनी हकीकत थी। तो आखिर क्या था ये पूरा मामला? चलिए जानते हैं विस्तार से।

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गंगोत्री क्रूज में छिपे आतंकी, हेलिकॉप्टर से एनएसजी कमांडो ने किया रेस्क्यू; सहम गए पर्यटक: क्या था पूरा मामला?

गंगोत्री घाटी की इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया। करीब 50 से ज्यादा पर्यटक इस क्रूज में मौजूद थे, जो गंगा आरती देखने निकले थे। तभी अचानक सुरक्षा एजेंसियों को इंटेलिजेंस मिली कुछ संदिग्ध व्यक्ति क्रूज में सवार हैं और उनके पास हथियार हैं।

बिना वक्त गँवाए, स्थानीय पुलिस ने एनएसजी को बुलाया। हेलिकॉप्टर से उतरे कमांडो ने हवा में रेस्क्यू मिशन को अंजाम देना शुरू किया। कुछ ही मिनटों में क्रूज को घेर लिया गया। गोलियों की आवाज़ें गूंज उठीं और एनएसजी की त्वरित कार्रवाई ने आतंकी खतरे को निष्प्रभावी कर दिया।

एनएसजी कमांडो की वीरता और रणनीति कैसे बनी सफलता की कुंजी?

एनएसजी (National Security Guard) को जब भी हालात बिगड़ते हैं, बुलाया जाता है। इस बार भी उन्होंने दिखा दिया कि क्यों उन्हें “ब्लैक कैट कमांडो” कहा जाता है।

रेस्क्यू ऑपरेशन की मुख्य झलकियां:

  • हेलिकॉप्टर से हवा में उतरकर कमांडोज़ ने पूरी क्रूज को चारों ओर से घेरा।
  • बोट पर मौजूद आतंकियों को सरेंडर का मौका दिया गया।
  • 15 मिनट के भीतर सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
  • किसी भी नागरिक को चोट नहीं आई  यह सबसे बड़ी सफलता थी।

एक पर्यटक ने कहा, “हमने सोचा हम शायद जिंदा नहीं बचेंगे, लेकिन एनएसजी कमांडोज़ ने हमें भगवान की तरह बचा लिया।”

क्यों यह ऑपरेशन देश के सबसे साहसी अभियानों में गिना जा रहा है?

इस ऑपरेशन में तीन चीज़ें सबसे खास थीं  तेज़ प्रतिक्रिया, सटीक रणनीति और बिना नुकसान के सफलता।
जहाँ एक ओर हालात बेहद तनावपूर्ण थे, वहीं दूसरी ओर कमांडो टीम का आत्मविश्वास और ट्रेनिंग गज़ब की थी।

ऑपरेशन को खास बनाने वाले कारण:

  1. पहाड़ी इलाक़े में हेलिकॉप्टर से उतरना बेहद जोखिम भरा था।
  2. क्रूज पर सवार पर्यटकों को बिना नुकसान पहुँचाए बचाना चुनौती थी।
  3. रात के अंधेरे में भी मिशन को बिना एक भी गलती के पूरा किया गया।

आखिर गंगोत्री जैसे शांत इलाके में आतंकी कैसे पहुँचे?

यह सवाल सबसे बड़ा है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, ये आतंकी नेपाल सीमा से होते हुए उत्तराखंड पहुँचे थे। उनका लक्ष्य किसी धार्मिक आयोजन को निशाना बनाना था, जिससे देशभर में दहशत फैले। लेकिन एनएसजी और स्थानीय पुलिस की सजगता ने इस मंसूबे को समय रहते नाकाम कर दिया।

लोगों की प्रतिक्रिया – डर, राहत और गर्व

जब खबर फैली कि “गंगोत्री क्रूज में छिपे आतंकी, हेलिकॉप्टर से एनएसजी कमांडो ने किया रेस्क्यू; सहम गए पर्यटक”, सोशल मीडिया पर देशभर में एक ही आवाज़ गूंज उठी – “जय जवान!”
लोगों ने एनएसजी की तारीफों के पुल बाँध दिए। कई लोगों ने ट्वीट किया कि अगर एनएसजी नहीं होती तो शायद एक और बड़ा हादसा हो सकता था।

इस घटना से क्या सबक मिला?

हर घटना कुछ सिखा जाती है। इस मिशन ने साफ कर दिया कि

  • सुरक्षा में कभी लापरवाही नहीं बरती जा सकती।
  • आम नागरिकों को भी सतर्क रहना चाहिए।
  • हर यात्रा से पहले सुरक्षा जांच बेहद जरूरी है।
  • अगली खबर

निष्कर्ष

“गंगोत्री क्रूज में छिपे आतंकी, हेलिकॉप्टर से एनएसजी कमांडो ने किया रेस्क्यू; सहम गए पर्यटक” — यह सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एनएसजी की बहादुरी और देश की सुरक्षा तंत्र की जीत की कहानी है।
हर नागरिक को इस पर गर्व होना चाहिए कि हमारे देश में ऐसे सिपाही हैं जो जान की परवाह किए बिना दूसरों की जान बचाते हैं।

आखिर में यही कहा जा सकता है
जब तक हमारे जवान हैं, तब तक हिंदुस्तान महफूज़ है