Uttarakhand की खबरें: सैद्धांतिक स्वीकृति के बाद भी सड़कों के लिए वन भूमि नहीं मिली, शासन की रिपोर्ट

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वन संरक्षण अधिनियम के चलते उत्तराखंड में सड़क निर्माण के प्रस्ताव सिरे नहीं चढ़ पा रहे हैं। सैद्धांतिक स्वीकृति के बावजूद 500 से अधिक सड़कों के लिए वन भूमि की मंजूरी लटकी है। सचिव लोनिवि पंकज कुमार पांडेय ने प्रमुख अभियंता से उन सभी सड़कों के बारे में कारण समेत रिपोर्ट मांगी है, जिनमें सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है।

पिछली बैठक में उन्होंने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए थे। जारी रिपोर्ट के अनुसार, सचिव ने उन सभी लंबित प्रकरणों का विवरण मांगा है जो पांच से दस वर्ष बाद भी वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव नहीं बना पाया है। इनमें से कई ऑनलाइन अपलोड किए गए हैं, लेकिन वन विभाग ने वन भूमि हस्तांतरण से इनकार कर दिया है।

सहमति देने से वन विभाग ने किया इंकार
बैठक में तय हुआ कि ऐसे सभी प्रकरणों को निरस्त किया जाएगा, जिनमें वन भूमि मिलना संभव नहीं है या सहमति देने से वन विभाग ने इंकार कर दिया है। इस संबंध में सचिव ने प्रमुख अभियंता को प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। साथ ही ताकीद किया कि ऐसे प्रकरणों (जिनमें संरेखण, ग्रामीणों की आपत्ति एवं अत्यधिक वन भूमि होने के कारण वन भूमि की सहमति मिलने की संभावना नहीं है) को निरस्त करने की कार्रवाई शुरू की जाए। बैठक में यह भी तय हुआ कि जिलाधिकारी और डीएफओ के स्तर पर लंबित प्रकरणों की स्वीकृति के लिए संबंधित अधिशासी अभियंता व्यक्तिगत रूप से समन्वय स्थापित करेंगे।

1271 सड़कों के प्रस्ताव लंबित

लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, वन भूमि की अनुमति के कारण 1271 सड़कों के प्रस्ताव लंबित हैं। इनमें से 850 पहले चरण के प्रस्ताव हैं, जबकि 421 दूसरे चरण के प्रस्ताव हैं। इनमें से 571 प्रस्तावों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। 268 प्रस्तावों पर अब तक विधिवत स्वीकृति मिली है।