राम जन्मभूमि आंदोलन में संघ और भाजपा के सदस्य बहुत सक्रिय थे। उन्हें जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा था। कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले क्षेत्रों में भी शिला पूजन हो रहे थे। कांग्रेसियों को इससे बहुत आश्चर्य हुआ। कांग्रेसी हम पर हमला करते हैं कि हम रामलला आएंगे और वहीं मंदिर बनाएंगे, लेकिन तारीख नहीं बताते।
कार सेवकों ने राम जन्मभूमि आंदोलन को जनांदोलन बनाया, जिससे भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में एक सुंदर मंदिर बनाने की इच्छा तेजी से बढ़ी। 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में होगी, विरोधियों को रामभक्तों ने बताया है।

कार सेवक प्रमुख बनाया गया
उस समय मैं भाजपा के जिलाध्यक्ष था। मेरी सक्रियता के कारण मुझे जिले का कार सेवक प्रमुख बनाया गया। रामजन्मभूमि पर भगवान श्रीराम का मंदिर बनाने के लिए मैं नैनीताल और आसपास के क्षेत्रों में जाकर लोगों से सलाह ले रहा था।
हम टोलियां बनाकर जगह-जगह बैठते थे। रामशिला पूजन पहले हुआ था। यहाँ से ईंटों को अयोध्या भेजा गया। स्थानीय पुलिस हमारी सक्रियता से खुश नहीं थी। हम उनकी दृष्टि में चढ़ गए। तब मेरी आयु ४५ वर्ष होगी। हम पुलिस से भागकर अलग-अलग जगह रहते थे। जब आंदोलन चरम पर पहुंच गया,
अल्मोड़ा की जेल में किया गया बंद
पुलिस हमारे घरों में जाती थी और धमकाती थी कि उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कह दें, अन्यथा ठीक नहीं होगा। हमारी एक टुकड़ी हल्दूचौड़ की ओर चली गई। Mountain Village से निकलकर हम बरेली रोड पर पहुंचे तो सीओ ने हमें रोक दिया। हमने बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन पुलिस हर जगह थी। हम गिरफ्तार हो गए। अल्मोड़ा जेल में हमें कैद कर दिया गया।
मैं २३ दिन जेल में रहा। जेल में ही हमने शाखा खोली। शुरुआत में जेलर और पुलिस स्टॉफ हमारी भावनाओं का सम्मान नहीं करते थे, लेकिन बाद में वे भी ऐसा करने लगे। जब जेलर हमें मदद करते हैं, तो हम हैरान हो जाते हैं। नहाने के लिए गर्म पानी उपलब्ध है। यह भी बाहर से खाने की इच्छा को पूरा करता। राम के प्रति भक्ति दोनों ओर थी।