गंगोत्री-यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट अब खुलेंगे। शनिवार को भगवान बदरीनाथ की डोली धाम पहुंची है। बदरीविशाल की जयकारों के बीच बहुत से लोग धाम पहुंचे हैं। 15 कुंतल फूल बदरीनाथ मंदिर को सजा रहे हैं। बदरीनाथ धाम कल सुबह छह बजे श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा।
यात्रा के दौरान भगवान बदरी विशाल को लगाए जाने वाले तेल को पिराने (पीसने) की प्रक्रिया सबसे पहले शुरू हुई। हर दिन ब्रह्म मुहूर्त में चार बजे भगवान बदरी विशाल को स्नान कराया जाता है। स्नान के दौरान तिलों के तेल से भगवान बदरी विशाल का लेपन (मालिश) लगाया जाता है।

तिलों का तेल भगवान को अभिषेक करने के लिए योग्य है। इसका प्रयोग अखंड ज्याति में भी होता है। इसलिए सिलबट्टे पर इस तेल को पीसा जाता है। इसलिए इसमें कोई मिलावट नहीं होगी। यह तेल सिर्फ सुहागिन महिलाएं पिरोती हैं। टिहरी राजदरबार की महारानी इस तेल को पीसती है। इसके बाद इसे गाडू घड़ा (एक कलश) में रखा जाता है।
महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह की मौजूदगी में शहर की कई सुहागिनों ने तेल निकाला। गणेश पूजन, मूसल पूजन, ओखल पूजन और अग्नि पूजन के बाद शहर की कई सुहागिनों और महारानी ने पीले वस्त्र धारण कर तिलों को कड़ाई में भूना और ओखली और सिलबट्टा में पिसाकर तेल निकाला।
शुक्रवार को हजारों श्रद्धालुओं के जयकारों के बीच, विधि विधान के साथ तीनों धाम के कपाट खोले गए। पहले दिन लगभग ४५०० लोगों ने दर्शन किए।